01 मई 2010

परवाना खुद शमा की लौ पे जल मरा कोई क्या करें

क्यों नही समझता तू दर्द को मेरे कभी
क्यों समझता है कि मेरे सीने मे कोई दिल नहीं

क्यों मरा कैसे मरा चाहे जिस पे इल्जाम दे
पर सच बता हमदम मेरे क्या तू मेरा कातिल नहीं

खुद खुशी पाई ना आंचल तेरे खुशियां भर सका
बेमेल प्यार से किसी को कुछ हुआ हासिल नहीं

परवाना खुद शमा की लौ पे जल मरा कोई क्या करें
शमा तो परवाने की हुई कैसे भी कातिल नहीं

तेरे चाहने वालो की कतार हो पर ऐसा भी हो
तू जिसे चाहे सिवा मेरे कोई शामिल नहीं

बजता नहीं सुर से तो कोई और साज थाम ले
यूं साज ए दिल का तार तार तोडना कोई हल नहीं

हौले हौले यादे खुद दिल मे वो इतनी भर गया
अब शिकायत उसको मै क्यों भूलता इक पल नहीं

एहसासों के रिश्ते तोड़े नहीं जाते

जब मौत का पैगाम आये,
फ़रिश्ते मोड़े नहीं जाते,
दूर रह के हर रिश्ता तोड़ दो,
एहसासों के रिश्ते तोड़े नहीं जाते,
दुआ है तुझे भूलने से पहले,
सासें टूट जाएँ मेरी,
इक बार जो टूटे दिल के,
टुकड़े जोड़े नहीं जाते,
हर ज़ख्म सहने की,
हिम्मत जोड़ लेते हैं,
कुछ ज़ख्म ऐसे होते हैं,
खुल्ले छोड़े नहीं जाते,
गर जुदा भी हुए कभी,
बस बदन ही अलग होंगे,
इतने पक्के यादों के धागे,
ज़माना लाख कोशिश कर ले,
कभी तोड़े नहीं जाते...
कभी तोड़े नहीं जाते!