जिन्दगी मे जब सही कोई फैसला हमने लीया
वक्त ने हर बार हमको गल्त साबित कर दिया
लम्हों की क्या कद्र थी जाकर पता ये तब चला
वक्त ने हिसाब जब एक एक लम्हे का लिया
क्या पता कब वक्त होता है किसी पे मेहरबाँ
वक्त ने जब भी लिया हम से तो बदला ही लिया
हम तो नासमझी मे यारा भूल कोई कर गये
खुद से भी तो पूछ लो तुमने आखिर क्या किया
जब भी चाहा जिन्दगी को खूबसूरत मोड़ दे
हालात ने इस जिन्दगी को और बदरंग कर दिया
लम्हा लम्हा करके आखिर काट ही दी जिन्दगी
आखिरी लम्हो मे क्या सोचे, कि आखिर क्या किया
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