19 फ़रवरी 2010

मुश्किल है अपना मेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये।

तुम एम. ए. फ़र्स्ट डिवीजन हो, मैं हुआ मैट्रिक फ़ेल प्रिये।

तुम हो अफ़्सर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ।

तुम रबडी खीर मलाई हो, मैं सत्तू सपरेटा हूँ।

तुम ए. सी. घर में रहती हो, मैं पेड के नीचे लेटा हूँ।

तुम नयी मारूती लगती हो, मैं स्कूटर लम्बरेटा हूँ।

इस कदर अगर हम छुप-छुप कर, आपस मे प्रेम बढायेंगे।

तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जायेंगे।

सब हड्डी पसली तोड मुझे, भिजवा देंगे वो जेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये।

तुम अरब देश की घोडी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये।

तुम दीवाली की बोनस हो, मैं भूखों की हडताल प्रिये।

तुम हीरे जडी तश्तरी हो, मैं एल्मुनिअम का थाल प्रिये।

तुम चिकेन-सूप बिरयानी हो, मैन कंकड वाली दाल प्रिये।

तुम हिरन-चौकडी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये।

तुम चन्दन-वन की लकडी हो, मैं हूँ बबूल की चाल प्रिये।

मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मार मुझे गुलेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये।

मैं शनि-देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कन्चन काया हो।

मैं तन-से मन-से कांशी राम, तुम महा चन्चला माया हो।

तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ।

तुम राज घाट का शान्ति मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दन्गा हूँ।

तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफ़ा अजन्ता की।

तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूँ भगवन्ता की।

तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम-ठेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये।

तुम नयी विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ।

तुम ए. के.-४७ जैसी, मैं तो इक देसी कट्टा हूँ।

तुम चतुर राबडी देवी सी, मैं भोला-भाला लालू हूँ।

तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिडियाघर का भालू हूँ।

तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वी. पी. सिंह सा खाली हूँ।

तुम हँसी माधुरी दीक्षित की, मैं पुलिसमैन की गाली हूँ।

कल जेल अगर हो जाये तो, दिलवा देन तुम बेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये।

मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पाँच सितारा होटल हो।

मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम ब्लैक-लेबल की बोतल हो।

तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कॄषि-दर्शन की झाडी हूँ।

तुम विश्व-सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाडी हूँ।

तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला हूँ चोंगा।

तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूँ घोंघा।

दस मन्ज़िल से गिर जाउँगा, मत आगे मुझे ढकेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये।

तुम सत्ता की महरानी हो, मैं विपक्ष की लाचारी हूँ।

तुम हो ममता-जयललिता सी, मैं क्वारा अटल-बिहारी हूँ।

तुम तेन्दुलकर का शतक प्रिये, मैं फ़ॉलो-ऑन की पारी हूँ।

तुम गेट्ज़, मटीज़, कोरोला हो, मैं लेलैन्ड की लॉरी हूँ।

मुझको रेफ़री ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये।

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