18 फ़रवरी 2010

तू जिस हाल में रहे हमेशा मुस्कुराती रहे......

कभी अचानक इक आहट के बदले हम नींद उडाये जाते हैं....

वोह जो हो चुके हैं हमसे दूर उन्हें खयालो में लाये जाते हैं......

जो ख़ुद बुझा गए हैं इस दिल से मुहब्बत के चरागों को.....

हम क्यों ठंडी पड़ी राख से शम्मा को जलाए जाते हैं.....

इक वक्त था जब उन्ही से सुबह और उन्ही से रात होती थी.....

अजनबियों से भी गाहे बगाहे उन्ही की बात होती थी.......

अब वक्त ने ही कुछ ऐसे करवट ले ली मुझे जताने को.....

अजनबियों में ही उन्हें पाने की आस लगाए जाते हैं......

चलो घड़ी भी आ गई है इस दुनियाँ से अब जाने की......

रूहानी जन्नत के इंतज़ार में तेरी मुहब्बत की जन्नत खोने की.....

तू जिस हाल में रहे हमेशा मुस्कुराती रहे......

मर के भी तेरी सलामती की खुदा से दुआ किए जाते हैं.....

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